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मोबाइल के इस्तेमाल से आपको हो सकता है ब्रेन ट्यूमर



Description


मोबाइल के इस्तेमाल से आपको हो सकता है ब्रेन ट्यूमर

 
Mobile Radiation, se Brain Tumour Ho Sakta Hai
Phone radiation


सबसे पहले हम जिस खबर का विश्लेषण करेंगे वो दरअसल एक खबर नहीं बल्कि एक बहुत बड़ा खुलासा है. ये खुलासा दुनिया भर के 500 करोड़ Mobile Phone उपभोक्ताओं से जुड़ा है. यानी ये खबर दुनिया की 70 प्रतिशत आबादी के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. इसलिए आज हम भारत ही नहीं बल्कि अमेरिका, यूरोप और United Kingdom में मौजूद DNA के दर्शकों से भी अपील करेंगे कि आप ये खबर ध्यान से देखें..क्योंकि इस विश्लेषण के बाद आपको पता लग जाएगा कि दुनिया की बड़ी-बड़ी मोबाइल फोन कंपनियां कैसे कई वर्षों से आपके साथ एक बहुत बड़ा धोखा कर रही हैं और इन कंपनियों के लालच ने आपके साथ-साथ आपके पूरे परिवार को भी खतरे में डाल दिया है. अगर मैं आपसे कहूं कि आपके Mobile Phone में सिर्फ Tower नहीं बल्कि Tumour के भी सिग्नल हैं तो शायद आपको यकीन नहीं होगा. लेकिन ये सच है.  

मोबाइल फोन से निकलने वाला रेडिएशन इंसानी सेहत के लिए खतरनाक है इस पर अभी अंतिम रूप से कुछ कहा जाना बाकी है। लेकिन निश्चित हो चुका है यह रेडिएशन कॉकरोचों की सेहत के लिए ठीक नहीं है।
यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ तिरुवनंतपुरम के जीव विज्ञान विभाग ने मोबाइल रेडिएशन का स्वास्थ्य पर असर को लेकर के एक शोध किया है जिसमें कई बातें सामने आई हैं। यह शोध करेंट साइंस नाम की पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।
शोध में कहा गया है एक विशेष प्रकार के कॉकरोच पर जब मोबाइल रेडिएशन का अध्ययन किया गया तो पता चला कि मोबाइल से निकलने वाला इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन (EMR) कॉकरोच के शरीर के रसायनों को तेजी से बदल रहा है। यह बदलाव विशेष रूप से बॉडी फैट और हीमैटोलॉजिकल प्रोफाइल पर बदलाव लाता है। हीमैटोलॉजिकल प्रोफाइल का इस्तेमाल खून का वैज्ञानिक अध्ययन के िलए िकया जाता है।

चूंकि मोबाइल फोन अब हमारे जीवन का अभिन्न अंग बन चुके हैं। ऐसे में इंसान की सेहत पर पड़ने वाला रेडिएशन का असर चिंता का िवषय बन गया है। हालांकि मोबाइल रेडिएशन को लेकर अभी तक इंसान के शरीर में होने प्रभाव का अध्ययन नहीं किया गया।

इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन (EMR) के प्रभाव से बॉडी फैट में मौजूद प्रोटीन तेजी से घटता है और अमीनो एसिड तेजी से बढ़ता है। ऐसे इस ताजा शोध में सामने आया है। इस रेडिएशन से शरीर में ग्लूकोज और यूिरक एसिड बहुत ही तेजी के साथ बढ़ता है। EMR प्रभाव के ताजा शोध में यह भी पाया गया है कि हमारे तंत्रिका तंत्र में मौजूद रसायन में भी तेजी से बदलाव होता है।

All India Institute Of Medical Sciences के एक नये रिसर्च से बहुत बड़ा खुलासा हुआ है.

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Mobile Radiation


AIIMS की तरफ से जारी की गई इस रिपोर्ट के मुताबिक 10 वर्ष से भी ज़्यादा समय तक Mobile Phone का इस्तेमाल करने से ब्रेन ट्यूमर का खतरा 33 प्रतिशत बढ़ जाता है . लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि मोबाइल कंपनियों द्वारा कराई गई अलग-अलग Studies में हमेशा इस खतरे को कम करके दिखाया जाता है. 
AIIMS की मदद से तैयार किए गये रिसर्च के कुछ महत्वपूर्ण अंश के मुताबिक, ये दरअसल एक Meta Analysis है. यानी एक ऐसा Research जिसे तैयार करते वक्त दुनिया में हुई अलग-अलग Studies का विश्लेषण किया गया है. इस रिसर्च के मुताबिक दुनिया भर में हुए ज़्यादातर सरकारी Research में मोबाइल फोन से ब्रेन ट्यूमर के खतरे की बात कही गईं हैं. लेकिन मोबाइल फोन Industry द्वारा किए गये रिसर्च में इस खतरे को कम करके आंका गया है. यानी Paid News की ही तरह ये एक तरह का Paid Research है. जिसे कुछ कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए तैयार किया जाता है.
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खतरा: सेलफोन लेकर सोने से आप हो सकते हैं कैंसर, नपुंसकता का शिकार
आज लोगों के जीवन की कल्पना बिना मोबाइल फोन के नहीं की जा सकती हैं क्योंकि ये उनकी जिंदगी का अब सबसे अहम हिस्सा बन चुका है। लेकिन, जहां एक तरफ ये हमारी सबसे जरुरत बन चुका है तो वहीं स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मानें तो इसके ठीक से इस्तेमाल ना करने पर आप इससे निकलनेवाले रेडिएशन का शिकार भी हो सकते हैं। इसके घातक परिणाम सामने आए हैं और वो परिणाम है कैंसर और नपुंसकता का।
कैलिफोर्निया के स्वास्थ्य विभाग ने यह चेताया है कि रेडिएशन के खतरे से बचने के लिए लोग से कई फीट दूर मोबाइल फोन को रखे। मोबाइल से कैंसर, मानसिक स्वास्थ्य और लोगों की प्रजन्न शक्ति पर बुरे पड़ते असर के होते मजबूत होते दावों और साक्ष्यों के बीच कैलिफोर्निया ने रेडिएशन को कम करने के लिए गुरुवार को एक गाइडेंस जारी की है।
      
इज़रायल के Hadassah Medical School की प्रोफेसर.. डॉक्टर  Devra Davis लंबे समय से Mobile Phone Radiation के खतरों पर रिसर्च कर रही हैं. डॉक्टर Davis का कहना है कि Mobile Phone Radiation  से ना सिर्फ कैंसर का खतरा बढ़ता है. बल्कि पुरुषों में Sperm Count  भी कम हो जाता है. इसके अलावा गर्भावस्था से गुज़र रही महिलाओं के लिए ये Radiation अच्छा नहीं है. इससे जन्म के वक्त बच्चे के दिमाग का आकार छोटा रह सकता है या फिर बच्चा Hyper Activity का भी शिकार हो सकता है. 
अगर आप भी 24 घंटे Mobile Phones से चिपके रहते हैं और अपने बच्चों को भी Mobile Phones से दूर नहीं कर पाते हैं, तो आपको  Devra Davis की वो Speech ज़रूर सुननी चाहिए जो उन्होंने  Melbourne University के एक कार्यक्रम में दी थी. हमें यकीन है कि  Devra Davis की बातें सुनने के बाद मोबाइल फोन से आपका मोह भंग हो जाएगा .

बहरा और नपुंसक बना सकता है आपका मोबाइल फोन

Mobile Radiation
Radiation


लंबे समय तक मोबाइल फोन के इस्तेमाल से शरीर में बीमारियां पैदा करने वाले जैविक बदलाव हो सकते हैं। एम्स और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने एक स्टडी के बाद यह दावा किया है। 

2013 से दिल्ली-एनसीआर के 4500 लोगों पर की जा रही स्टडी के शुरुआती नतीजों के आधार पर कहा गया है कि ज्यादा मोबाइल फोन इस्तेमाल करने से सुनने और बच्चे पैदा करने की क्षमता पर असर पड़ता है। ध्यान में कमी के साथ हाइपरऐक्टिव होने जैसी समस्याएं हो सकती हैं। स्टडी में शामिल डॉक्टर कहते हैं कि यह तय है कि Mobile Radiation का बुरा असर पड़ता है, इसलिए जहां तक संभव हो इसका कम से कम इस्तेमाल करें। 
आईसीएमआर के साइंटिस्ट डॉक्टर आर.एस. शर्मा ने बताया कि एम्स में चल रही इस स्टडी के अंतिम नतीजे आने में तीन-चार साल लगेंगे। इसी के बाद हम बताने की स्थिति में होंगे कि मोबाइल रेडिएशन कितना खतरनाक है। हालांकि विश्व स्वास्थ्य संगठन पहले ही मोबाइल से कैंसर होने की बात कह चुका है, लेकिन ऐसा 10-15 साल तक मोबाइल फोन के इस्तेमाल से ही होता है। 

लो फ्रीक्वेन्सी रेडियो सिग्नल का इस्तेमाल कर मोबाइल फोन सूचनाएं पहुंचाता है और ये रेडिएशन हमारे स्वास्थ्य के ऊपर घातक असर डालता है, खासकर उस वक्त जब कोई बड़ी फाइल डाउनलोड कर रहा होता है। 

हालांकि, स्वास्थ्य विभाग की ओर जारी रिलीज में कहा गया है कि शोध में अभी तक इस बात को साबित नहीं कर पाया है कि मोबाइल फोन का रेडिएशन खतरनाक है। लेकिन, इस बात के पर्याप्त अध्ययन है, खासकर बच्चों पर घातक असर के बारे में बताया गया है। पूरे राज्यभर में यह नोटिस उस वक्त दिया गया है जब कई शहर जैसे बर्कले और सेनफ्रेंसिस्को ने स्थानीय स्तर पर चेतावनी जारी कर अपने लोगों को फोन से दूर रहने की हिदायत दी थी।

एन्वायरमेंटर हेल्थ ट्रस्ट के डॉक्टर डेवरा डेविस का कहना है- शरीर के ऊपर सीधे फोन रखना कभी भी एक अच्छा आइडिया नहीं है। हालांकि, सेलफोन बनानेवाले भी इस बात से पूरी तरह सहमत है। उदाहरण के लिए आईफोन ने अपनी सेटिंग्स में आरएफ एक्सपोजर नोटिस दिया हुआ है। इस नोटिस में यह बताया गया है कि आईफोन का आरएफ (रेडियो फ्रीक्वेंसी) की जांच की गई है और यह अमेरिकी सेफ्टी स्टैंडर्ड पर बिल्कुल सही खड़ा उतरता है।

कैलिफोर्निया की तरफ से जारी गाइडेंस में कहा गया है कि रेडियो फ्रीक्वेन्सी वयस्कों के मुकाबले आसानी से बच्चों के दिमाग पर अपना असर डालता है। विकासशील मस्तिष्क पर इसका सबसे घातक असर हो सकता है। अध्ययन में इस बात के भी साक्ष्य दिए गए हैं कि सेलफोन रेडिएशन दिमाग या कान में ट्यूमर की वजह बन सकता है क्योंकि वे जगह लगातार डिवाइस से संपर्क में रहता है।   

हालांकि, एक तरफ जहां रेडियो फ्रीक्वेन्सी का सीधा असर खासकर बच्चों पर पड़ रहा है तो वहीं मनोवैज्ञानिक इस बात को लेकर पहले ही आगाह कर चुके है कि सेलफोन के इस्तेमाल से लोगों का ध्यान भंग होना, मानसिक स्वास्थ्य और किशोरावस्था में उसकी की नींद पर दुष्प्रभाव पड़ता है।  

Mobile Radiation

एक हफ्ते पहले ही फ्रांस ने अपने यहां के प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों में मोबाइल फोन को बैन कर दिया था। हालांकि, इस बैन का लक्ष्य शुरुआती तौर पर मानसिक स्वास्थ्य को लेकर था। फ्रांस के इस बैन के बाद रेडिएशन एक्सपोजर से चिंतित विशेषज्ञों ने खुशी जताई। मोबाइल फोन का स्वास्थ्य पर पड़नेवाले असर के शोध के बारे में भी यह देश सबसे आगे रहा है। अन्य शोध से यह साबित हुआ है कि रेडियो फ्रीक्वेन्सी पुरुषों की प्रजन्न क्षमता पर असर डालता है। डॉक्टर डेविस ने बताया कि कई देशों में यह देखा गया है कि जो लोग लंबे समय तक अपने पेंट की पॉकेट में मोबाइल फोन रखते हैं उसके स्पर्म पर सबसे ज्यादा असर हुआ है। 

कैलिफोर्निया की गाइलाइंस यह बताया गया है कि उस वक्त खतरनाक रेडिएशन निलता है जब हम किसी टेक्नॉलोजी को इन्फॉर्मेशन के लिए ज्यादा वर्क करना पड़ता है। और ये उस वक्त होता  है जबक कोई बड़ी फाइल डाउनलोड होती है। उस वक्त रेडियो फ्रीक्वेन्सी ज्यादा रिलीज होती है। ऐसे में यह चेतावनी दी गई है कि जब चलती गाड़ी में बैठे हों या फिर बड़ी तादाद में डेटा भेजने की कोशिश की जा रही हो उस वक्त फोन के नजदीकी संपर्क में नहीं आना चाहिए।

   से मज़े की बात ये है कि जब हम Devra Davis का ये Video इंटरनेट पर ढूंढ रहे थे, तब इस Video के Play होने से पहले भी हमें एक mobile Phone का ही Ad दिखाया गया. हो सकता है कि DNA के दौरान ब्रेक में भी आपको Mobile Phones के Ad दिख जाएं. आप में से बहुत सारे लोग इस वक्त DNA भी अपने Mobile Phones पर ही देख रहे होंगे. लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि आपको Mobile Phones के खतरों के बारे में जानने का अधिकार नहीं है. हमनें AIIMS की रिपोर्ट और विशेषज्ञों से बातचीत के आधार पर एक Radiation Free विश्लेषण तैयार किया है. इस विश्लेषण के दौरान हमनें Mobile Phone के खतरों का पता लगाने के अलावा..ये भी पता लगाया है कि आप इन ख़तरों से कैसे बच सकते हैं. अगर आप भी Mobile Phone का इस्तेमाल करते हैं, तो आपको हमारा ये विश्लेषण किसी भी हालत में Miss नहीं करना चाहिए. 
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यहां मैं आपको RF यानी Radio frequency Exposure से बचने के कुछ उपाय भी बताना चाहता हूं. वैसे कुछ मोबाइल फोन कंपनियां अपने User Manual में इसका ज़िक्र करती हैं. तो कुछ कंपनियों के मोबाइल फोन की Setting में जाकर आप Radiation का स्तर जान सकते हैं. लेकिन कंपनियां इन बातों का ठीक से प्रचार नहीं करती हैं. कंपनियां आपको Radiation से बचने की सलाह बहुत छिपा कर देती हैं. ये ठीक ऐसा ही है ..जैसा सिगरेट बेचने वाली कंपनियां कुछ वक्त पहले तक किया करती थीं. सिगरेट बेचने वाली कंपनियां सचित्र चेतावनी को बहुत छोटे आकार में छापती थीं लेकिन धीरे धीरे लोगों और संस्थाओं के दबाव में कड़े नियम बनाए गये. 
ये सच है कि कंपनियां अपने Product से जुड़े खतरों के बारे में लोगों को नहीं बताना चाहती..क्य़ोंकि इससे उन्हें नुकसान हो सकता है..आपके पास जो मोबाइल फोन है..उसमें Legal Information का एक Section होता है.. जिसमें Radiation और उसके खतरों का जिक्र होता है..लेकिन ज्यादातर ग्राहकों को ये बात पता ही नहीं होती..कि उन्हें ये जानकारी कहां से मिलेगी..मैं आपको बताता हूं कि मैंने ये जानकारी मोबाइल में कहां ढूंढी है.
आप अपने मोबाइल फोन में Settings में जाकर About का Section ढूंढिए.,. वहां आपको RF Exposure के बारे में जानकारी मिलेगी.. हालांकि कुछ मोबाइल फोन कंपनियां ये जानकारी नहीं देती हैं. वैसे आप कुछ सावधानियां बरतकर रेडिएशन के खतरे को कम कर सकते हैं. सबसे पहले तो अपने मोबाइल फोन के अपने शरीर से दूर रखें, यानी उसे अपनी किसी भी जेब में बिल्कुल ना रखें. इसके बजाय उसे बैग में रखें.

मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते वक्त उसे अपने सिर से लगाकर ना रखें, क्योंकि यही स्पर्श आगे चलकर ट्यूमर का कारण बन सकता है. मोबाइल फोन पर बातचीत करते वक्त LoudSpeaker का इस्तेमाल करें या फिर AirTube Headset का इस्तेमाल करें, इस तरह के Headset में Metal का इस्तेमाल नहीं होता..Metal की वजह से रेडिएशन का खतरा बढ़ जाता है. जब मोबाइल फोन की ज़रूरत ना हो..तो उसे Airplane Mode पर रखें,ऐसा तब ज़रूर करें जब आपके छोटे बच्चे मोबाइल फोन से खेलने की ज़िद करते हैं. 

Cars, Trains और लिफ्ट में अपने मोबाइल फोन का इस्तेमाल ना करें..क्योंकि ये सभी चीज़े Metal की बनी होती हैं..जो रेडिएशन को बढ़ाती है..जैसे Metal से बने  Microwave में Radiation से खाना गर्म होता है..ऐसे ही Car, Train या लिफ्ट में मोबाइल फोन से निकला रेडिएशन आपके शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है. जब आप सोने जाएं..तो मोबाइल फोन को खुद से दूर रख दें, हो सके तो इसे अपने Bedroom से ही बाहर कर दें. ये कुछ ऐसे Tips हैं..जिन्हें अपनाकर आप Radiation के खतरे से बच सकते हैं.
Mobile Radiation

हम आपसे ये नहीं कह रहे कि आपको मोबाइल फोन का इस्तेमाल करना बंद कर देना चाहिए.. हम आपसे ये भी नहीं कह रहे कि मोबाइल फोन के विज्ञापन बंद हो जाने चाहिएं.. ये भी हमारे वश में नहीं हैं.. हम सिर्फ आपको जागरूक कर सकते हैं.. और आज हमने यही करने की कोशिश की है. मोबाइल फोन कंपनियों के पास बहुत पैसा है.. उनसे हम और आप तो नहीं लड़ पाएंगे.. लेकिन सरकार चाहे तो लड़ सकती हैं.. और कड़े नियम बना सकती है. भारत सरकार अगर इस मामले में सक्रियता दिखाए तो वो मोबाइल फोन से जुड़े कड़े नियम बनाने वाली एक बड़ी शक्ति बन सकती है.



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