12 BEST GURUDWARAS OR UNKI HISTORY
1. गुरुद्वारा श्री ननकाना साहिब (काशीपुर)
GURUDWARA NANKANA SAHIB (KASHIPUR UTTRAKHAND)
यह गुरुद्वारा साहिब काशीपुर शहर के उधम जिले उत्तराखंड में िस्थित है श्री गुरु नानक देव जी नानकमत्ता यात्रा से वापसी समय यहां आये थे जब गुरु साहिब वहां पोहचे तो वहां के िस्थानिये लोग उस जगह को छोड़कर किसी सुरक्षित िस्थान की और जाने की तैयारी में थे कियोंकि शहर के नजदीक बहती ढेला नदी के कारन प्रत्यक वर्ष बाढ़ का प्रकोप सहना पड़ता था गुरु साहिब ने उन्हे धरे रखने के लिए कहां और यहां रखने की सलाह दी ऐसा माना जाता है की जैसे नदी के पानी का स्तर बढ़ा गुरु जी के चरणों का स्पर्श कर वापिस शहर के दूर होता चला गया तब से शहर में कभी भी बाढ़ नहीं आई
2. गुरुद्वारा श्री रीटा साहिब GURUDWARA SRI REETHA SAHIB
यह गुरुद्वारा साहिब भारत के उत्तराखंड राज्य के चंपावत जिले में है यह श्री गुरु नानक देव जी ने गोराकमत के येयोगियो से गोस्टी (आध्यात्मिक ज्ञान चर्चा) उनेह मानवता
तथा ईश्वर की प्यारी मीठी याद जुड़ने के लिए प्रेरित किये प्रचलित साखी (कथा) मुताबिक श्री गुरु नानक देव यहां अपने तेज (प्रताप)
कड़वे रीठे मिठे कर दिए ताकि भाई मर्दाना जी उनेह खाकर अपनी भूख मिटा सकें यह पवित्र रीठे का वृष भी इस िस्थान पर मोजोद है तथा संगत को मिठे रिटों का प्रसाद दिया जाता है
3. गुरुद्वारा श्री पंजा साहिब GURUDWARA SRI PANJA SAHIB
श्री गुरु नानक देव जी पवित्र याद से जुड़ा यहां िस्थान पाकिस्तान के एक कसबे हसन अब्दाल में िस्थिय है गुरु साहिब अपने साथी भाई मर्दाना के साथ इस िस्थान पर पधारे थे उस समय यहां एक पहाड़ी पर वली कंधारी नाम का पीर रहता था सफर से थके हुए और प्यास से व्याकुल हुए मर्दाना पानी पिने के लिए पहाड़ी पर चढ़ गए और वली कंधारी से पानी की मांग की जब उसने पूछा की वह कोन है और यहां कैसे आया है तो भाई मर्दाना ने कहा की वह एक रबाबी है और यहां एक महान संत बाबा नानक के साथ आया है वली कंधारी ने उसे पानी देने से इंकार कर दिया और कहा की यदि उसके गुरु में इतना सामथ्र्य है तो उसका चेला पानी के बिना प्यासा कियों है भाई मर्दाना जी उदास होकर वापिस आ गए और सारी बात श्री गुरु नानक देव जी को सुनाई इस पर गुरु साहिब ने अपने हाथ में पकड़ी छड़ी से पहाड़ी को छुआ जिसमे से पानी का झरना फुट पड़ा और भाई मर्दाना ने पानी पी कर अपनी प्यास बुझाई उसी समय वली कंधारी के तलाब का पानी कम शरू हो गया और जल्दी ही उसके पानी का स्रोत सूख गया गुस्से में अंधे होकर वली कंडारी ने पत्थर की एक भारी शिला गुरु साहिब की और फेंक दी गुरु साहिब ने उस पत्थर को अपने दाएं हाथ से रोक लिया गुरु साहिब की आत्मिक शक्ति देख कर वली कंधारी इतना प्रभावित हुआ की अपना सारा अभिमान छोड़ कर बड़ी नर्मता से गुरु साहिब के चरणो में आ गिरा
4. गुरुद्वारा श्री दरबार साहिब डेरा बाबा नानक GURUDWARA SRI DARBAR SAHIB DERA BABA NANAK
सिखों का एक और पवित्र िस्थान गुरुद्वारा डेरा बाबा नानक साहिब पंजाब के गुरदासपुर जिले में रवि नदी के तट पर िस्थित है समय गुजरने तथा देस देश की सीमाएँ बदलने के साथ यह गुरुद्वारा साहिब सीमा पर भारत की यहां श्री गुरु नानक देव जी रोजाना सिमरन करते थे गुरु नानक साहिब जी को मक्का यात्रा के दौरान भेंट किया गया चोला डेरा बाबा नानक में एक परिवार के पास सुरक्षित है
5. गुरुद्वारा करतारपुर साहिब GURUDWARA SRI KARTARPUR SAHIB PAKISTAN
यह पवित्र गुरुद्वारा रवि नदी
किनारे पर पाकिस्तान करदारपुर शहर में सुशोभित
गुरु नानक देव जी अन्य देशों में
लोगों
रूहानियत का प्रचार करते हुए (ज्ञान देते हुए) लम्बी उदाशियों (प्रवचन यात्रा) के यात्रियों दौरान पहले वस्त्र त्याग दिए और एक सामान्य जीवन वाले व्यक्ति की तरह के वस्त्र धारक गुर जी का यह मनना था की ग्रहस्थ जीवन में रहते हुए भी मुक्ति प्राप्त की जा सकती है और इस के लिए गृहस्थ का परित्याग करने की कोई आवस्यकता नहीं यह वह िस्थान है जहाँ श्री गुरु नानक देव जी ने सिखों को नाम जपने (नाम जपो), ईमानदारी से व्यवसाय करने (कीरत करो) तथा बांट कर खाने (वंड छको) के तीन उपदेस दिए
6. गुरुद्वारा श्री ननकाना साहिब GURUDWARA NANKANA SAHIB PAKISTAN
गुरुद्वारा श्री ननकाना साहिब, (जो की अब पाकिस्तान में है) जहाँ सिख धर्म के संस्थापक, श्री गुरु नानक देव जन्म सन 1469 ई0 में हुआ अपने वार में भाई गुरुदास जी ने गुरु नानक साहिब जन्म का वर्णन एक उगते हुए सूरज की तरह किया है जो काली रात बाद पृथ्वी को रोशन करता है गुरु साहिब ने बचपन और युवावस्था पूर्व के वर्ष राय भो की तलवंडी में व्यतीत किये जो वर्तमान में संपूर्ण संसार
ननकाना साहिब के नाम से जाना जाता है
7. गुरुद्वारा श्री सच्चा सौदा साहिब GURUDWARA SRI SACHA SAUDA SAHIB PAKISTAN
यह पवित्र गुरुद्वारा जिला शेखपुरा (पाकिस्तान) के चुड़कना गांव में इस्तित है भाई बाला जन्मसाखी अनुशार, श्री गुरु नानक देव
जी के पिता, महिता कालू जी ने अपने सपुत्र को एक इस्थाइ व्यवसाय में लगाने के लिए 20 रूपए देकर नजदीक के कसबे के बाजार में से कोई ऐसा सच्चा सौदा करने के लिए कहा जो बोहत लाभकारी हो जब गुरु साहिब एक जंगल को पार कर रहे थे तो उनेह एक साधओँ गए की मंडली नज़र आई गुरु जी ने उनसे बातचीत करके जान लिया की उन्होंने कई दिनों से भोजन नहीं किया है, तब श्री गुरु नानक देव जी ने पिता के द्वारा दी राशि में से उन भुखे साधुओं को भोजन करा दिया जब वह खली हाथ घर वापिस घर गए तो पिता महिता कालू जी ने मेहनत से एकत्रित कमाई को ऐसे व्यर्थ खर्च करने पर श्री गुरु नानक देव जी पर बुहत गुस्सा किया गुरु साहिब ने अपने उत्तर में कहा की यही सबसे अच्छा सच्चा सौदा था जो वह कर सकते थे
8. गुरुद्वारा श्री बेर साहिब GURUDWARA SRI BER SAHIB
गुरुद्वारा श्री बे साहिब सुल्तानपुर लोधी में काली वेई नदी के किनारे ेस्थित है जैसा की जन्मसाखी साहित्य में बयान किया गया है एक बार जब श्री गुरु नानक देव जी काली वेई नदी में सुबह के समय िस्नान करने के उपरांत अपने घर वापिस नहीं आये नगर के लोगो को लगा की नानक देव जी नदी में कहीं डूब गए है तीसरे दिन श्री गुरु नानक देव जी वापिस प्रकट हुए और जो पहले शब्द उनोहने उच्चारे वह थे ना को हिन्दू ना मुस्लमान इस प्रकार उन्होनें जाति या धर्म के आधार पर मानव के बिच भेदभाव का खंडन किया इस शब्द द्वारा उन्होने फ़र्माया कि सभी मनुस्य एक ईश्वर के पैदा किये हुए है इसलिए सभी बराबर है
9. गुरुद्वारा श्री हट्ट साहिब GURUDWARA SRI HATT SAHIB
यह गुरुद्वारा कपूरथला ज़िले के एक जहाँ है पुराने शहर सुल्तानपुर लोधी में है यह स्थान उस जगह को चिन्हित करता है जहाँ श्री गुरु नानक देव जी ने नवाब दौलत खान मोदी खाने निगरानी के रूप में नौकरी की थी यहां वह अपने फर्जो को निभाने के साथ साथ अपने कुशल वयवहार लोगो की प्रसंशा पात्र बने जो भी उन के पास आया उन की खुशदिली को देखकर कायल हो गया काम करते हुए उन का मन प्रभु में ही लीन करता राशन का तोल करते हुए जब वह तेरह की गिनती तक पहुंचने तो वह तेरा तेरा ही करते रहते यह देखते हुए किसी नवाब दोतल खान के पास श्री गुरु नानक देव जी की शिकायत कर दी कि वह बिना किसी हिसाब किताब के सरकारी राशन लुटा रहे है जब हिसाब की जांच की गई तो सभी की हैरानी की हद ना रही जब राशन खाते से अधिक पाया गया यहां भिन्न भिन्न तोल के पथरो को जिन के बारे में यह विस्वास किया जाता है की यह श्री गुरु नानक देव जी द्वारा तोल करने के प्रयोग किये जाते थे सांगतो के दर्शनों के लिए रखा गया है
10. गुरुद्वारा श्री नानक प्याऊ साहिब GURUDWARA SRI NANAK PYAO SAHIB
यह पवित्र गुरुद्वारा दिल्ली में सुशोभित है श्री गुरु नानक देव जी अपनी पहली प्रचन यात्रा (उदासी) के दौरान इस स्थान पर पधारे थे गुरु साहिब यहाँ एक कुआँ खुदवा कर प्यासे यात्रियों को शीतल जल पिलाया करते थे गुरु साहिब शांति आपसी प्यार अहिंसा तथा सदभावना के पैगम्बर थे गुरु साहिब के चरणों के छूने से प्राप्त पवित्र कुआँ आज भी यहाँ मौजुद है
11. गुरुद्वारा श्री नानक झिरा साहिब GURUDWARA SRI NANAK JHIRA SAHIB
श्री गुरु नानक देव जी का यह पवित्र गुरुद्वारा बीदर (कर्णाटक) में स्थित है गुरु साहिब अपनी दितया प्रवचन यात्रा (उदासी ) दौरान यहाँ
पधारे
शहर के बहार गुरु साहिब इस स्थान पर आकर रुके उस समय यहाँ अकाल पड़ा हुआ था और कहीं भी आस पास पानी नहीं था लोगों को या तो बहुत ज्यादा गहरा कुआँ खोदना पड़ता था या फिर कहीं दूर जाकर पानी लाना पड़ता था गुरु साहिब के आगमन के बारे में सुन कर लोग गुरु साहिब के पास आए और पानी की कमी के कारन पैदा हुई अपनी दयनीय हालत का जिक्र किया और विनती की कि हमें इस संकट से मुक्ति दिलाए ऐसा कहाँ जाता है कि गुरु साहिब ने एक एक पत्थर को हटया उसके निचे से मिठे जल का एक झरना फुट पड़ा यह झरना आज भी मौजूद है तथा स्थानीय लोगों के लिए पानी का मुख्य स्रोत है
12. गुरुद्वारा श्री नानक मत्ता साहिब GURUDWARA SRI NANAK MATTA SAHIB
यह गुरुद्वारा साहिब उत्तराखंड प्रदेश के जिला उद्यम सिंह नगर का एक पवित्र गुरुधाम है अपनी तृतीय प्रवचन यात्रा (उदासी ) के दौरान श्री गुरु नानक देव जी यहाँ आये उस समय यह सिद्ध योगियों का एक केंद्र था और इसका नाम गोरखमत्त था गुरु जी ने सिद्ध योगियों को मुक्ति का सही मार्ग दिखाया श्री गुरु नानक साहिब के आगमन उपरांत यह स्थान नानक मत्ता के नाम से जाना जाने लगा
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